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पर्यावरण संरक्षण में भारत की IIT दिल्ली प्रथम

पर्यावरण संरक्षण में भारत की IIT दिल्ली प्रथम

पर्यावरण संरक्षण में भारत की IIT दिल्ली प्रथम

आईआईटी दिल्ली ने क्यूएस सस्टेनेबिलिटी वर्ल्ड रैंकिंग 2025 में भारत में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। इस बार आईआईटी दिल्ली ने 255 अंकों का उछाल पाया और 171वीं रैंक हासिल की, जो पिछले साल के मुकाबले काफी बेहतर है। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय को 79 अंकों की गिरावट के बाद 299वीं रैंक मिली।

क्यूएस रैंकिंग में पर्यावरण और जलवायु से संबंधित शैक्षिक पहलुओं पर आधारित यह रैंकिंग बताती है कि IIT दिल्ली न केवल अपने शोध कार्यों में उत्कृष्ट है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी विश्वभर में सराही गई है।

IIT दिल्ली की पर्यावरणीय पहलें

IIT दिल्ली ने पर्यावरण बचाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न शोध प्रक्षेत्रों में कार्य किया है। यहां के शोधकर्ताओं ने विश्व स्तर पर प्रभावित परियोजनाओं में भाग लिया है, जिनका उद्देश्य पर्यावरणीय संकटों का समाधान खोजने में योगदान देना है। इसके अलावा, संस्थान में कई कक्षाएं, कार्यशालाएं और पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जो विद्यार्थियों को पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति जागरूक करते हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रदर्शन और सुधार की गुंजाइश

हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने क्यूएस सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग में पिछला स्थान प्राप्त किया है, फिर भी दिल्ली विश्वविद्यालय ने पिछले साल की तुलना में अपने ज्ञान वर्धन प्रयासों को बनाए रखा है। नॉलेज एक्सचेंज श्रेणी में दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस बार भी देश में सर्वोच्च स्थान हासिल किया और दुनिया भर में 121वीं रैंक प्राप्त की।

भारत की स्थिति और सुधार की जरूरत

क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा कि भारत के 78 विश्वविद्यालयों ने इस बार क्यूएस सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग में जगह बनाई, और उनमें से 34 विश्वविद्यालयों ने पिछले साल की तुलना में सुधार किया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में है, लेकिन बावजूद इसके भारतीय संस्थान स्थिरता के रास्ते पर सही दिशा में बढ़ रहे हैं।

संस्थानों की स्थिरता की ओर बढ़ता भारत

भारत के विश्वविद्यालयों ने क्यूएस रैंकिंग में स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। इस रैंकिंग से यह साफ होता है कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली अपनी स्थिरता को प्राथमिकता देती है और यह वैश्विक पर्यावरणीय संकटों के समाधान में सक्रिय रूप से योगदान दे रही है।

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